शराब कारोबारियों के नौकर भी हैं लखपति
प्रदेश में नई आबकारी नीति के ऐलान के बाद शराब कारोबारियों का सिंडिकेट कुछ हद तक टूटता दिख रहा है। हालांकि वह अपने नौकरों और मुंशियों के हैसियत प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं, ताकि उनके नाम से दुकानें ले सकें। कई कारोबारियों के नौकर और मुंशी लाखों का हैसियत प्रमाणपत्र लेकर चक्कर लगा रहे हैं। आयकर विभाग के वैल्यूअर द्वारा जारी हैसियत प्रमाणपत्र मान्य होने से इनकी राह आसान हो गई है।
शराब की दुकानों से अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिले इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने एक व्यक्ति को प्रदेश में अधिकतम दो दुकानें आवंटित करने की नीति जारी की है। अभी तक एक व्यक्ति जिले में दो और पूरे प्रदेश में अधिकतम 150 दुकानें ले सकता था। कमजोर होती पकड़ देख शराब कारोबारी अपने विश्वासपात्र मुंशी और नौकरों के नाम से दुकानें अलॉट कराने को जोड़तोड़ कर रहे हैं। कारोबारियों के गुणाभाग में नौकर और मुंशी देखते ही देखते लाखों के हैसियतदार होते दिख रहे हैं।
पिछले दो दिनों में आयकर विभाग में दर्जन भर ऐसे मुंशी हैसियत प्रमाणपत्र के लिए पहुंचे जो दुकानों पर सेल्समैन की भूमिका में थे। आयकर विभाग में करीब दो दर्जन वैल्यूअर हैं जो हैसियत प्रमाणपत्र बना रहे हैं। मुंशी और नौकरों का हैसियत प्रमाणपत्र बाइक, खेत और मकान के आधार पर आसानी से बन रहा है। शराब कारोबारी अंकुश कुमार बताते हैं कि वैल्यूअर 5 से 10 हजार में हैसियत प्रमाणपत्र बना दे रहे हैं। तहसील से हैसियत बनवाने का काफी दिक्कत होती थी।
जरूरी है 70 हजार से एक करोड़ का हैसियत प्रमाणपत्र
जिले में शराब की दुकान हासिल करने के लिए 70 हजार से एक करोड़ रुपये के हैसियत प्रमाणपत्र की जरूरत है। बियर की दुकानों के लिए 70 हजार से 10 लाख के हैसियत प्रमाणपत्र की जरूरत है तो देसी शराब की दुकानों के लिए एक करोड़ रुपये का हैसियत प्रमाणपत्र होना चाहिए। हैसियत प्रमाणपत्र दो साल के लिए मान्य होता है। नई दुकानों की जरूरत के हिसाब से लोग हैसियत प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं। जिले में पीपीगंज और चौरीचौरा कस्बे की देशी शराब की दुकान के लिए इस बार एक करोड़ के हैसियत प्रमाणपत्र की जरूरत है। बियर के लाइसेंस शुल्क में 15 फीसदी, देसी में 10 फीसदी, विदेशी और मॉडल शाप के शुल्क में 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।
70 फीसदी दुकानों का भी रीन्यूअल मुश्किल
आबकारी विभाग के जिम्मेदारों के मुताबिक जिले में 70 फीसदी दुकानों का भी रीन्यूअल होना मुश्किल है। ऐसे में करीब 30 फीसदी दुकानों की लाटरी होनी तय है। कुल दुकानों की दो फीसदी दुकानें नई खोली जानी है। वर्तमान में जिले में देसी की 279, अंग्रेजी की 115, बियर की 107 और 12 मॉडल शाप हैं। चालू वित्तीय वर्ष में 980 करोड़ रुपये राजस्व का लक्ष्य है। नये वित्तीय वर्ष में लक्ष्य में 10 फीसदी बढ़ोत्तरी की उम्मीद हैं।
बोले अधिकारी
नई नीति से अधिक से अधिक लोगों को दुकानें आवंटित होंगी। हैसियत प्रमाणपत्र से लेकर अन्य औपचारिकताएं पूरी करने वालों को दुकानें आवंटित होंगी। मुंशी, नौकर या फिर परिवार के सदस्य को दुकानें आवंटित होने से दिक्कत नहीं है। विभाग नियम के मुताबिक दुकानें आवंटित करेगा। 28 जनवरी से 1 फरवरी तक रीन्यूअल की प्रक्रिया चलेगी।
- वीपी सिंह, जिला आबकारी अधिकारी