पीजीआई के डॉक्टर ने कटने से बचा लिया गोरखपुर के मरीज का पैर

पीजीआई के डॉक्टर ने कटने से बचा लिया गोरखपुर के मरीज का पैर


 


डायबिटीज से पीड़ित गोरखपुर निवासी मो. कैसर अब्बास (54) अपना बायां पैर कटवाने के लिए पीजीआई में भर्ती हुए थे। लेकिन इंडोक्राइन सर्जरी विभाग के डॉ. ज्ञानचन्द की सूझबूझ से मरीज का पैर कटने की बजाय सही सलामत बचा लिया गया। मो. कैसर बेटे के साथ छड़ी के सहारे चलकर पीजीआई में दिखाने आए थे।


गोरखनाथ क्षेत्र स्थित सूर्य विहार कॉलोनी निवासी कैसर ने नवम्बर 2015 में पीजीआई में गुर्दा प्रत्यारोपित कराया था। कैसर को करीब 20 साल से डायबिटीज के चलते डायबिटीज फुट की गंभीर समस्या हो गई थी। बाएं पैर की एड़ी के निचले हिस्से की हड्डियां काफी गल गई थीं। भीतर जख्म और छाले पड़ गए थे। संक्रमण लगातार बढ़ने से पैर में सड़न पैदा होने लगी थी। एक महीने तक काफी इलाज के बाद ठीक न होने पर संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग और जनरल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने कैसर को तत्काल पैर के एड़ी के नीचे वाला हिस्सा कटवाने के लिए इंडोक्राइन सर्जरी विभाग को रेफर कर दिया।


संक्रमण कम होने पर उम्मीद जगी


डॉ. ज्ञानचंद ने बताया कि कैसर दिसम्बर 2015 में उनके पास पहली बार पहुंचे थे। एक्सरे में पता चला कि एड़ी के निचले हिस्से की हड्डियों के जोड़ खुल गए थे। कई हड्डियां गल गईं थीं। पैर के अंदरूनी व बाहरी हिस्से में जख्म हो गए थे। दर्द बहुत था। आखिरकार कैसर पैर कटवाने के लिए पीजीआई में भर्ती हो गए। उसी दिन वार्ड में उसे देखने पहुंचे डॉ. ज्ञान ने सारी रिपोर्ट और पैर की स्थिति देखने के बाद पैर काटने का फैसला फिलहाल टाल दिया। करीब 10 दिन तक संक्रमण कम करने का इलाज किया। सुधार होने पर उन्हें कुछ उम्मीद जगी। कैसर करीब छह माह तक पीजीआई के बाहर रहकर डॉ. ज्ञान की निगरानी में इलाज कराए। अब पैर ठीक है।