मन की बात: पीएम ने भारतेंदु हरिश्चंद्र को याद कर मातृभाषा को बढ़ावा देने की अपील की

मन की बात: पीएम ने भारतेंदु हरिश्चंद्र को याद कर मातृभाषा को बढ़ावा देने की अपील की


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने कार्यक्रम मन की बात में आधुनिक हिंदी के पितामह कहे जाने वाले काशी के भारतेंदु हरिश्चंद्र को याद करते हुए मातृभाषा को अधिक से अधिक इस्तेमाल में लाने और बढ़ावा देने की देशवासियों से अपील की। पीएम ने कहा कि हमारी सभ्यता, संस्कृति और भाषाएं पूरे विश्व को विविधता में एकता का सन्देश देती हैं। 130 करोड़ भारतीयों का ये वो देश है, जहाँ कहा जाता है कि 'कोस-कोस पर पानी बदले और चार कोस पर वाणी'।  हमारे देश में सैकड़ों भाषाएँ सदियों से पुष्पित पल्लवित होती रही हैं। हमें इस बात की भी चिंता होती है कि कहीं भाषाएं और बोलियां ख़त्म तो नहीं हो जाएंगी। 


पीएम मोदी ने उत्तराखंड के धारचुला की कहानी के जरिये यह बताया कि वहां के लोग अपनी भाषा रंगलो को बचाने के लिए किस तरह से कोशिश कर रहे हैं। कहा कि भाषा को बचाने के मिशन में सोशल मीडिया का भी भरपूर उपयोग किया गया। कई वाट्सएप ग्रुप बनाए गए। लोग उस भाषा की कहानियों और कविताओं को वाट्सएप पर ही ठीक करने लगे। एक प्रकार से वाट्सएप ही क्लासरूम बन गया। यहां हर कोई शिक्षक भी है और विद्यार्थी भी। रंगलो को संरक्षित करने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। पत्रिका निकाली जा रही है और इसमें सामाजिक संस्थाओं की भी मदद मिल रही है।


पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 2019 यानी इस वर्ष को अंतरराष्ट्रीय स्वदेशी भाषा वर्ष घोषित किया है। यानी उन भाषाओं को संरक्षित करने पर जोर दिया जा रहा है जो विलुप्त होने के कगार पर हैं। डेढ़-सौ साल पहले आधुनिक हिंदी के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने भी कहा था, “निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल”। अर्थात, मातृभाषा के ज्ञान के बिना उन्नति संभव नहीं है। ऐसे में रंग समुदाय की ये पहल पूरी दुनिया को एक राह दिखाने वाली है। आज से ही अपनी मातृभाषा या बोली का खुद उपयोग करें। परिवार को और समाज को प्रेरित करें भी करें।